नए संसद भवन के निर्माण (सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट) को सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी, मोदी सरकार की बड़ी जीत।सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरकार के सेंट्रल विस्टा डेवलपमेंट प्रोजेक्ट को हरी झंडी दिखा दी है। साथ ही देश के सर्वोच्च न्यायालय ने ये भी कहा कि इसके लिए क्लियरेंस देने में कोई गड़बड़ी नहीं हुई है। साथ ही पर्यावरण को लेकर जो क्लियरेंस दिया गया था, उसे भी बरकरार रखा गया है। जस्टिस एएम खानविलकर और जस्टिस दिनेश माहेश्वरी ने बहुमत से फैसला सुनाया, जबकि जस्टिस संजीव खन्ना ‘सिडेंटिंग जजमेंट’ का हिस्सा बने।हालाँकि, सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि इसके लिए हेरिटेज कंजर्वेशन कमिटी की अनुमति लेनी ज़रूरी है, इसीलिए सरकार को इस कमिटी की अनुमति लेनी चाहिए।
3 जजों के बेंच ने 2:1 से फैसला सुनाया। साथ ही DDA एक्ट के तहत जिन अधिकारों का उपयोग किया गया है, उसे भी सुप्रीम कोर्ट ने न्यायसंगत और सही करार दिया। साथ ही पर्यावरण मंत्रालय से जो क्लियरेंस मिला, उसे भी नियमों के अनुरूप बताया।बता दें कि दिसंबर 10, 2020 को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नए संसद भवन का भूमि पूजन किया था, जिसे लगभग 971 करोड़ रुपए की लागत से बनाया जाना है। मोदी सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाओं में से एक, सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट के तहत राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच की जगह का पुनर्विकास शामिल है। हिन्दू रीति-रिवाज़ों के अंतर्गत भूमि पूजन का कार्यक्रम आयोजित किया गया था।