रूस-यूक्रेन संकट के बीच सरकार की व्यापार पर करीबी नजर : गोयल

वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने शुक्रवार को राज्यसभा में कहा कि सरकार उन मौकों की लगातार निगरानी कर रही है जो रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण भारत के लिए सामने आए हैं तथा गेहूं व अन्य वस्तुओं का अधिक निर्यात सुनिश्चित करने के लिए वह व्यापारियों के साथ बातचीत कर रही है।

गोयल ने उच्च सदन में प्रश्नकाल के दौरान पूरक सवालों का जवाब देते हुए कहा कि दो साल पहले भारत से गेहूं का निर्यात सिर्फ दो लाख मीट्रिक टन था जिसके इस साल 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक हो जाने की पूरी संभावना है।

गोयल ने कहा कि रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण कई यूरोपीय देशों में कई जहाज और कंटेनर फंसे हुए हैं और पहले से ही कोविड-19 के कारण उत्पन्न संकट और गहरा हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार जहाजरानी कंपनियों और कंटेनरों का परिचालन करने वालों के साथ बातचीत कर रही है।

गोयल ने कहा कि सरकार स्थिति पर करीबी नजर रख रही है और वह आवश्यक कार्रवाई करेगी। उन्होंने कहा कि सरकार निर्यातकों और आयातकों तथा व्यापार में शामिल लोगों से भी बातचीत कर रही है और यह सुनिश्चित करने के लिए उपाय किए जा रहे हैं कि भुगतान समय पर हो और व्यापार को नुकसान नहीं हो।

उन्होंने कहा कि कोविड बाधाओं के बावजूद, पहली बार भारत का निर्यात बढ़कर 400 अरब अमेरिकी डॉलर का हो गया है, जो ऐतिहासिक है।

गोयल ने कहा कि भारत लगातार उन अवसरों पर नजर रख रहा है जो भारत और भारतीय निर्यातकों के लिए खुल रहे हैं। उन्होंने कहा, “हमने अच्छी गुणवत्ता वाले गेहूं का उत्पादन किया और हमारा निर्यात बढ़ा है। दो साल पहले यह निर्यात दो लाख मीट्रिक टन था जो पिछले साल 21 लाख मीट्रिक टन और चालू वर्ष में 70 लाख मीट्रिक टन से अधिक रहेगा।’’

गोयल ने कहा कि विभिन्न मंत्रालय आपस में समन्वय के साथ काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यूक्रेन और रूस गेहूं के बड़े निर्यातक थे तथा भारत मौजूदा आयातकों को अपने गेहूं का निर्यात बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत इस संबंध में नए बाजारों की तलाश के लिए प्रयास कर रहा है।

उन्होंने कहा कि कई देशों के साथ भारत के प्रगाढ़ संबंधों के कारण हम अपने व्यापार का विस्तार करने में सक्षम हुए हैं और कई देशों ने आर्थिक भागीदारी के लिए रुचि दिखायी है। उन्होंने कहा, “हालांकि, हमारे राष्ट्रीय हित और रणनीतिक हित हमेशा सर्वोपरि होंगे।”

गोयल ने कहा कि सूरजमुखी तेल आयात प्रभावित हुआ है क्योंकि इसका आयात बड़े पैमाने पर यूक्रेन से होता है लेकिन कुल खाद्य तेलों में इसका अनुपात कम है। उन्होंने कहा कि जब भी इस तरह की स्थिति होती है तो इसका असर पूरी दुनिया में पड़ता है और रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण आज पूरी दुनिया में लगभग सभी खाद्य तेलों की कीमतों में तेजी आई है।

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