आये दिन बलूचिस्तान में चीनी श्रमिकों और इंजीनियरों पर घातक हमले होते रहे हैं जिसमें चीनी नागरिकों की जान जाती है। ऐसे में चीन के कान खड़े तो हुए हैं लेकिन इतना बड़ा निवेश करने के बाद कोई भी देश इतनी आसानी से सबकुछ छोड़कर भागना नहीं चाहेगा। अब चीन इस मिर्ग-मरीचिका में पूरी तरह उलझ गया है। इसी क्रम में कल (13/08/23) सुबह बलूचिस्तान के ग्वादर से चीन को एक बुरी खबर मिली जो पाकिस्तान के लिए मुसीबत बनने वाली है। यहां पर बलूच लिबरेशन आर्मी (बीएलए) ने चीनी इंजीनियरों के काफिले पर हमला बोल दिया। यह एक आत्मघाती हमला था जिसमें करीब चार चीनी नागरिकों के मारे जाने की खबरें हैं। बीएलए ने इस हमले को ‘ऑपरेशन जिर पहजाग‘ नाम दिया है। रविवार को हुए हमले के बाद उसने अपने मिशन का तीसरा चरण पूरा होने का ऐलान किया। साथ ही साथ उसने 90 दिनों के अंदर चीन को यहां से चले जाने का अल्टीमेटम भी दिया है। सभी जानते हैं कि बलूचिस्तान का ग्वादर एक पोर्ट सिटी है और यहां पर चीन-पाकिस्तान इकोनॉमिक कॉरिडोर (सीपीईसी) के कई प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं। चीन के कई कर्मी इन्हीं प्रोजेक्ट्स की वजह से यहां पर मौजूद हैं।
बीएलए के मुताबिक हमला चेयरमैन इशाक चौक के न्यायिक परिसर के पास हुआ। बीएलए के आतंकियों ने करीब 30 मिनट तक चीनी इंजीनियरों पर गोलियां बरसाईं। फायरिंग से पहले काफिले को रोकने के लिए हथगोले का इस्तेमाल किया गया। इसका नतीजा था कि हमले में चार चीनी नागरिक और ग्यारह पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों की मौत हो गई। जबकि कई इसमें घायल भी हुए हैं। बीएलए ने चीन को एक साफ मैसेज भी दिया है। बीएलए ने कहा है कि चीन ने बलूचिस्तान पर कब्जा कर लिया है। साथ ही यहां पर सीपीईसी जैसे प्रोजेक्ट्स चला रहा है जिसका बलूचिस्तान विरोध करता है। उन्होंने बार-बार चीन को बलूचिस्तान से दूर रहने के लिए कहा है। चीन जो कुछ भी कर रहा है वह सिर्फ बलूच नागरिकों के शोषण के तहत ही आता है। उसने साफ कर दिया है कि जब तक बलूचिस्तान को आजादी नहीं मिलती, किसी भी विदेशी निवेश को इजाजत नहीं मिलेगी। इसके साथ ही बीएलए ने चीन को बलूचिस्तान से हटने के लिए 90 दिनों का अल्टीमेटम दिया। बीएलए ने साफ कर दिया है कि अगर इतने दिनों में चीन वहां से नहीं गया तो फिर उसे और ज्यादा हमलों के लिए तैयार रहना होगा।