मराठी फिल्म ‘हर हर महादेव’ को लेकर विवाद

आनंद दुबे

महाराष्ट्र के पुणे से लेकर ठाणे तक मराठी फिल्म हर हर महादेव‘ के खिलाफ विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं। पुणे शहर में मराठा संगठन के सदस्यों ने फिल्म के शो में व्यवधान पैदा किया है। वहीं ठाणे में भी एनसीपी के कार्यकर्ताओं ने फिल्म की स्क्रीनिंग रोक दी। पूरे मामले पर फिल्म के निर्देशक अभिजीत देशपांडे का कहना है कि हर हर महादेव‘ की स्क्रीनिंग के दौरान महाराष्ट्र के ठाणे के एक थिएटर में जो हंगामा हुआवह एक राजनीतिक घटना थी। देशपांडे ने कहा कि फिल्म में जो दिखाया गया हैउसमें तथ्यात्मक रूप से कुछ भी गलत नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि वह छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों को फिल्म देखने का निमंत्रण देना चाहेंगे।

आपकी जानकारी के लिए बता दूँ कि हर हर महादेव अभिजीत देशपांडे की लिखित और निर्देशित 2022 की भारतीय मराठी भाषा की ऐतिहासिक एक्शन ड्रामा फिल्म है। हर हर महादेव‘ फिल्‍म की कहानी के केंद्र में बाजी प्रभु देशपांडे हैं। वह शिवाजी महाराज के सेनापति थे। बाजी प्रभु ने 300 सैनिकों की सेना के साथ 12 हजार बीजापुरी सैनिकों से युद्ध लड़ा था। आरोप है कि इतिहास से छेड़छाड़ करके फिल्म की कहानी लिखी गई है और इसी के मद्देनजर सारा विरोध प्रदर्शन हो रहा है। दूसरी तरफ, इतिहास से छेड़छाड़ का मुद्दा उठाने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। कहा जाता है कि छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों ने भी आपत्ति जताई थी। देशपांडे ने कहा कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन ब्यूरो (सीबीएफसी) ने शिवाजी के एक कमांडर बाजी प्रभु देशपांडे और खुद मराठा राजा के बीच लड़ाई के चित्रण के बारे में चिंता जताई थी।

हालांकि देशपांडे कहते है कि पटकथा लिखने से पहले उन्होंने लगभग 7-8 साल का शोध किया थाऔर उन्होंने उस दौरान इस और कई अन्य घटनाओं के बारे में पढ़ा था। देशपांडे ने आगे कहा कि उन्होंने अपनी फिल्म में घटना के चित्रण के बारे में दिखाने के लिए शिवाजी महाराज पर केए केलुस्कर की किताब ली थीऔर सीबीएफसी के संतुष्ट होने के बाद ही फिल्म को एक प्रमाण पत्र दिया गया था और इसे प्रदर्शित करने की अनुमति दी गई थी। घटना के बाददेशपांडे को पूरी सुरक्षा दी गई थीजिसमें कुछ वर्दीधारी पुलिसकर्मी और साथ ही सादी वर्दी के पहरेदार दिन भर उनके साथ रहते थे।

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