नीति आयोग ने कहा है कि सरकार को आंकड़ों का संरक्षण सुनिश्चित करने के लिए जल्द-से-जल्द एक कूटबद्ध डेटा संरक्षण व्यवस्था लेकर आनी चाहिए। नीति आयोग ने हाल ही में सबके लिए जिम्मेदार एआई (कृत्रिम मेधा) शीर्षक से जारी एक विमर्श पत्र में सरकार को यह सुझाव दिया है। इसके मुताबिक डेटा प्रसंस्करण के साथ ही संवेदनशील बायोमेट्रिक डेटा के संरक्षण एवं भंडारण के लिए सख्त मानदंडों का प्रावधान किसी भी प्रस्तावित डेटा संरक्षण व्यवस्था में किया जाना चाहिए।
आयोग का यह विमर्श पत्र कहता है, चेहरे से पहचान सुनिश्चित करने वाली प्रौद्योगिकी (एफआरटी) भी दूसरे बुद्धिमान एल्गोरिद्म की तरह बुनियादी तौर पर एक डेटा-बाहुल्य प्रौद्योगिकी ही है। एफआरटी प्रणालियों के विकास एवं प्रशिक्षण में इस्तेमाल होने वाले डेटा प्रसंस्करण के दौरान स्वामित्व एवं वैधानिकता को सुनिश्चित करने के लिए देश में जल्द-से-जल्द एक कूटबद्ध डेटा संरक्षण प्रणाली लाना अनिवार्य है। सरकार ने वर्ष 2019 में व्यक्तिगत डेटा संरक्षण विधेयक संसद में पेश किया था लेकिन बाद में उसे वापस ले लिया गया था।
सरकार का कहना है कि विधेयक को अस्थायी तौर पर ही वापस लिया गया है और एक नया डेटा संरक्षण विधेयक वह संसद में लेकर आएगी। इस बारे में आयोग ने कहा है कि नए डेटा संरक्षण विधेयक में एक ऐसी रूपरेखा जरूर होनी चाहिए जो डेटा संरक्षण से जुड़े सभी दायित्वों एवं व्यवस्थाओं का ध्यान रखे। नागरिकों की व्यक्तिगत संवेदनशील जानकारियों से संबंधित आंकड़ों को सुरक्षित रखने पर खास ध्यान देना होगा। नीति आयोग ने सरकार को यह सुझाव भी दिया है कि कृत्रिम बुद्धिमत्ता आधारित प्रणालियां लागू करने वाले संगठन इसके नैतिक प्रभावों के आकलन के लिए एक नैतिक समिति का गठन करें।