कोविड महामारी के बाद रूस- युक्रेन युद्ध के दौरान भारत का रूस के साथ कच्चा तेल आयत अपने चरम पर पहुँच गया है। अमेरिका और पश्चिम के तमाम देशों के विरोध के बावजूद भारत ने अपना देश हित को सर्वोपरि रखते हुए, सभी दबावों को दरकिनार करते हुए रूस के साथ कच्चा तेल के आयात को जारी रखा। इसका ख़ास फायदा भी भारत को मिला। यहीं कारण है कि आज भारत पूरी दुनिया में तेल के उत्पाद के निर्यात में दूसरे स्थान पर पहुँच गया है। आज स्थिति यह है कि रूस ने मई महीने में अपने कुल एक्सपोर्ट का 80% कच्चा तेल भारत और चीन को निर्यात किया। यानी ये दोनों देश अभी भी रूस के सस्ते कच्चे तेल के सबसे बड़े आयातक बने हुए हैं। इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी (IEA) की रिपोर्ट में ये जानकारी सामने आई है। चीन और भारत दोनों ही दुनिया के दो बड़े क्रूड ऑयल इंपोर्टर भी है।
भारत का रूस से क्रूड ऑयल इंपोर्ट करीब-करीब जीरो था जो अब बढ़कर 20 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया है, जबकि चीन ने अपने इंपोर्ट को 5 लाख बैरल प्रतिदिन से बढ़ाकर 22 लाख बैरल प्रतिदिन कर दिया है। भारत का रूसी तेल का आयात अप्रैल की तुलना में 14% ज्यादा है और देश में रूसी कच्चे तेल के इंपोर्ट का एक नया रिकॉर्ड भी। भारत और चीन से पहले रूस के तेल का बड़ा खरीदार यूरोप था। हालांकि, रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद यूरोप ने रूस से तेल खरीदना बंद कर दिया। अब 90% से ज्यादा रूसी तेल एशिया में जाता है। जंग से पहले ये 34% ही था।
खाड़ी देशों पर निर्भरता कम हुई
रूस और यूक्रेन के बीच जंग के कारण मार्च 2022 में क्रूड ऑयल की कीमत बढ़कर प्रति बैरल 140 डॉलर पहुंच गई थी। तब इंटरनेशनल मार्केट में ऑयल की कीमत कम करने के लिए अमेरिका ने अपना क्रूड खजाना खोलने का ऐलान कर दिया। उस वक्त भारत अपनी जरूरत का 60% क्रूड ऑयल खाड़ी देशों से खरीदता था और सिर्फ 2% कच्चा तेल रूस से आता था। रूस पर लगाई गईं पाबंदियों की वजह से यूरोपीय देशों ने उससे ऑयल खरीदना बंद कर दिया। इस वजह से यूरोप में ऑयल की किल्लत हो गई। इसके चलते पश्चिमी देशों ने अपनी जरूरत पूरा करने के लिए दूसरे देशों की ओर रुख किया। भारत ने इसका फायदा बखूबी उठाया। ‘द सेंटर फॉर रिसर्च ऑन एनर्जी एंड क्लीन एयर’ के मुताबिक, अप्रैल 2022 के बाद यूरोपीय देशों ने चीन और भारत से ऑयल की खरीद में बेतहाशा इजाफा किया है। कुल मिलाकर, इस दौरान सऊदी अरब ने जितना क्रूड ऑयल यूरोप को बेचा, उससे ज्यादा रिफाइंड ऑयल भारत ने यूरोप भेजा है। जंग शुरू होने से पहले यूरोप भारत से रोजाना 1.54 लाख बैरल रिफाइंड ऑयल खरीदता था। जंग शुरू होने के बाद ये आंकड़ा बढ़कर रोजाना 2 लाख बैरल और मई 2023 में 3.60 लाख बैरल प्रतिदिन हो गया।