चीन से सटे बॉर्डर पर सड़कों का जाल।

भारत सरकार की प्रत्येक सीमा पर तैयारी चौकस है वहीं जब चीन सीमा के बात होती है तो मामला और गंभीर हो जाता है। अतः चीन के सीमा पर बढ़ते आक्रामक रवैये को देखते हुए भारत सरकार भी तैयारियों में जुटी है। इन्हीं तैयारियों के तहत चीन सीमा पर सड़कों का जाल बिछाया जा रहा है ताकि सैनिकों की सीमा पर आवाजाही आसान और सुरक्षित हो सके। रक्षा मंत्रालय के तहत आने वाले सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने चीन सीमा पर ही करीब 60 प्रतिशत सड़कों का निर्माण बीते तीन सालों में ही किया है। रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने संसद में दिए एक लिखित जवाब में बताया कि अरुणाचल प्रदेश में सबसे ज्यादा 507.14 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया गया है। इसके बाद लद्दाख में 453.59 किलोमीटरउत्तराखंड में 343.56 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है। सिक्किम में 164.95 किलोमीटर और हिमाचल प्रदेश में 40.23 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण बीआरओ द्वारा किया गया है। केंद्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट ने बताया कि पाकिस्तान से लगती सीमा पर भी बीते तीन सालों में सड़क निर्माण में खासी तेजी आई है। जम्मू कश्मीर में 443.94 किलोमीटर और राजस्थान में 311.14 किलोमीटर सड़कों का निर्माण किया गया है।

आंकड़ों के अनुसारबीआरओ ने बीते तीन सालों में कुल 2445.54 किलोमीटर लंबी सड़कों का निर्माण किया है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई थी। इस झड़प के बाद सीमा पर सड़कों के निर्माण में खासी तेजी आई है। ना सिर्फ सड़कें बल्कि कई पुलसैनिकों के लिए आवासटनल और हेलीपैड भी सीमाई इलाकों में बनाए गए हैं। सड़कों के इन निर्माण से ना सिर्फ सीमा पर सैनिकों की आवाजाही में तेजी आएगी बल्कि यहां रहने वाले स्थानीय लोगों को भी इसका फायदा होगा। आंकड़ों के अनुसारबीआरओ को वित्तीय वर्ष 2022-23 में 923 करोड़ रुपए का आवंटन सड़कों की देखरेख के लिए किया गया था। इसमें से बीआरओ 846.46 करोड़ रुपए खर्च कर चुका है जो कि पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में खर्च किए गए 744.52 करोड़ से ज्यादा है। साथ ही सरकार ने बीआरओ की वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों में भी इजाफा किया है। बीआरओ के लिए आधुनिक उपकरण और औजारों की खरीद की गई है।

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