मणिपुर में कुकी-मैतेई समुदाय के बीच हिंसा रोकने के लिए केंद्र सरकार ने सेंट्रल फोर्स की 10 और कंपनियां तैनात करने का फैसला लिया है। CRPF की 5, BSF की 3, ITBP और SSB की एक-एक अतिरिक्त कंपनी तैनात करने का आदेश जारी किया गया। सरकार ने यह फैसला 3 अगस्त को भीड़ की तरफ से सेना के हथियार लूटने के बाद लिया। इस दिन भीड़ ने मोइरंग और नारानसेना थाने पर हमला कर 685 हथियार और लगभग 20 हजार से ज्यादा कारतूस लूट लिए थे। लूटे गए हथियारों में AK-47, इंसास राइफल्स, हैंड गन, मोर्टार, कार्बाइन, हैंडग्रेनेड और बम शामिल हैं। पुलिस कंट्रोल रूम ने बताया कि राज्य में सिर्फ घाटी के पुलिस स्टेशन से नहीं, बल्कि पहाड़ी जिलों से भी लूटे गए थे। सुरक्षा बल इन हथियारों को रिकवर करने के लिए लगातार पहाड़ी और घाटी इलाकों में तलाशी कर रहे हैं। अब तक पहाड़ी जिलों से 138 हथियार और 121 गोला-बारूद बरामद हुए हैं। जबकि घाटी के जिलों से 1057 हथियार और 14,201 गोला-बारूद बरामद हुए हैं।
आप जानते हैं कि मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इम्फाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं। मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाई कोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए। बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इम्फाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा। मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।