जस्टिस चंद्रचूड़ बने 50वें मुख्य न्यायाधीश।

शशिकांत दुबे, राजनीति टाइम्स

भारत के सुप्रीम कोर्ट के 50वें मुख्य न्यायाधीश के रूप में जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने बुधवार को शपथ ली। राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें पद एवं गोपनीयता की शपथ दिलाई। इसके बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में स्थित बापू की मूर्ति पर माल्यार्पण किया। उन्होंने भारत के मुख्य न्यायाधीश की कुर्सी पर बैठने से पहले अपने केबिन में तिरंगे को नमन भी किया। शपथ लेने के बाद चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने मीडिया से कहा, ‘देश के आम लोगों की सेवा करना मेरी पहली प्राथमिकता है। रजिस्ट्री और न्यायिक प्रक्रिया में सुधार करूंगा। मेरे शब्द नहींमेरा काम बोलेगा।‘  विदित हो कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ का कार्यकाल 10 नवंबर 2024 तक होगा। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के पिता वाईवी चंद्रचूड़ भी 44 साल पहले चीफ जस्टिस थे। वह सबसे ज्यादा समय तक देश के चीफ जस्टिस रहे। सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में यह पहला मौका है जब एक पूर्व भारत के मुख्य न्यायाधीश के बेटे इस पद पर पहुंचे हैं। जस्टिस चंद्रचूड़ के पिता जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ देश के 16वें भारत के मुख्य न्यायाधीश थे। जस्टिस वाईवी चंद्रचूड़ का कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तकयानी करीब साल रहा। उनके रिटायरमेंट के 37 साल बाद उनके बेटे जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ उसी पद पर नियुक्त होंगे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ पिता के बड़े फैसलों को SC में पलट भी चुके हैं। वे बेबाक फैसलों के लिए चर्चित हैं।

उनके द्वारा दिए गए महत्वपूर्ण निर्णयों में समलैंगिकता और अयोध्या मामलों में निर्णय शामिल है। वे सुप्रीम कोर्ट के मौजूदा सिटिंग जज हैं। वे सबरीमालासमलैंगिकताआधार और अयोध्या से जुड़े मामलों की सुनवाई में शामिल रहे हैं। नोएडा में सुपरटेक के दोनों टावर 28 अगस्त को गिराए गए। 31 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने टावरों को तोड़ने का आदेश दिए था। ट्विन टावर के निर्माण में नेशनल बिल्डिंग कोड के नियमों का उल्लंघन किया गया। केरल में अखिला अशोकन उर्फ हादिया (25) ने शफीन नाम के मुस्लिम लड़के से 2016 में शादी की थी। लड़की के पिता का आरोप था कि यह लव जिहाद का मामला है। उनकी बेटी की जबरदस्ती धर्म बदलवाकर शादी की गई है। इसके बाद हाईकोर्ट ने शादी रद्द कर दी और हादिया को उसके माता-पिता के पास रखने का आदेश दिया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कोर्ट ने हादिया की शादी रद्द करने से संबंधित केरल हाईकोर्ट का आदेश खारिज कर दी।

जबकि 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने निजता को मौलिक अधिकार माना। इस बेंच में चंद्रचूड़ भी शामिल थे। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा- ADM जबलपुर मामले में बहुमत के फैसले में गंभीर खामियां थीं। संविधान को स्वीकार करके भारत के लोगों ने अपना जीवन और निजी आजादी सरकार के समक्ष आत्मसमर्पित नहीं कर दी है। सुप्रीम कोर्ट ने सभी महिलाओं को गर्भपात का अधिकार दियाफिर चाहें वो विवाहित हों या अविवाहित। कोर्ट ने कहा कि मेडिकल टर्मिनेशन ऑफ प्रेग्नेंसी एक्ट के तहत 22 से 24 हफ्ते तक गर्भपात का हक सभी को है। बेंच की अगुआई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ कर रहे थे। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ था। उन्‍होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी से LLB की। 1998 में उन्हें बॉम्बे हाईकोर्ट में सीनियर एडवोकेट के रूप में नामित किया गया था। वे इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं। मई 2016 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट में जज बनाया गया।

Leave A Reply

Your email address will not be published.