अब तमिलनाडु में भी सीबीआई की नो एंट्री।

शशिकांत दुबे

देश की सबसे महत्वपूर्ण जांच एजेंसी को लेकर समय-समय पर विवाद होता ही रहता है। कभी उसे देश की सर्वोच्च अदालत ने ‘पिजड़े में बंद तोता’ तक कह दिया था, तो कभी कोई राज्य अपने यहाँ जांच से प्रतिबंधित करता है तो कभी विपक्षी पार्टियाँ उसे केंद्र सरकार का हथियार ठहरा देती है। जबकि आज यह एजेंसी तत्परता और ईमानदारी से काम कर रही है और इसके कार्य निष्पादन की दर लगातार बढ़ भी रहा है। ताज़ा घटनाक्रम में तमिलनाडु की डीएमके सरकार ने बीते दिन सीबीआई की राज्य में एंट्री पर रोक लगा दी है। अब राज्य में किसी भी मामले की जांच के लिए सीबीआई को तमिलनाडु सरकार से इजाजत लेनी होगी। स्टालिन सरकार ने सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली है। तमिलनाडु सरकार का यह कदम मोदी सरकार द्वारा केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग के बारे में विपक्ष की शिकायतों के बीच आया है। हाल ही में कई दूसरे राज्यों ने भी सीबीआई से सामान्य सहमति वापस ले ली थी। इसमें पंजाबराजस्थानपश्चिम बंगालझारखंडछत्तीसगढ़केरलमिजोरम और तेलंगाना आदि शामिल है। सीबीआई से सामान्य सहमति वापस लेना अब विपक्षी पार्टियों द्वारा शासित राज्यों का एक शक्तिशाली राजनीतिक उपकरण बनता दिख रहा है।

जैसा की सभी जानते हैं कि सीबीआई दिल्ली विशेष पुलिस प्रतिष्ठान (डीएसपीई) अधिनियम1946 के नियमों के तहत काम करती है। इस अधिनियम की धारा 6 के तहत सीबीआई को राज्य में किसी अपराध की जांच शुरू करने से पहले अनिवार्य रूप से संबंधित राज्य सरकार की सामान्य सहमति प्राप्त करनी होती है। आमतौर पर ज्यादातर राज्य सरकारों ने पहले से ही सामान्य सहमति दे रखी है। इसके मिलने से एजेंसी बिना रोकटोक के राज्य में कहीं भी जांच कर सकती है। अगर राज्य सरकार ये सामान्य सहमति वापस ले लेती हैतो सीबीआई राज्य सरकार से पूछे बिना किसी भी मामले में जांच नहीं कर सकती है। मामूली केस में भी एजेंसी को राज्य से मंजूरी लेनी होती है। चाहे भ्रष्टाचार या कोई भी मामला सामने आ जाए सीबीआई बिना राज्य सरकार की अनुमति के जांच नहीं कर पाती है। सामान्य सहमति वापस लेने से सीबीआई एक राज्य में जाने के लिए शक्तिहीन हो जाती है। जिन राज्यों ने सामान्य सहमति वापस ले रखी हैवहां सीबीआई बिना इजाजत जांच के लिए नहीं जा सकती है।

हालांकिअगर सीबीआई को किसी मामले में हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जांच का आदेश देता हैतो उसे राज्य सरकार की इजाजत लेने की जरूरत नहीं होती है। अब तमिलनाडु 10वां राज्य बन गया हैजिसने सीबीआई की एंट्री बैन कर दी है।

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