भारत में ‘अल नीनो’, बढ़ाएंगी गर्मी की मार।

आनंद कुमार दुबे

देश के कई हिस्सों में भीषण गर्मी का प्रकोप चरम पर है और चारों ओर हाहाकार मचा हुआ है। राजस्थान, हरियाणा, दिल्ली के साथ ही उत्तर प्रदेश और बिहार की स्थिति और भी ख़राब है। ऐसे में लोग बेसब्री से मानसून का इंतजार कर रहे हैं। लेकिन मौसम विभाग की ताज़ा खबरों ने सबकी धड़कने बढ़ा दी है जिसके अनुसार इस साल बहुत अच्छी बारिश नहीं होने जा रही है। इसका मुख्य कारण अल नीनो इफेक्ट बताया जा रहा है। देशभर में इस समय बिपरजॉय तूफान की वजह से मौसम में बदलाव देखने को मिल रहा है। गुजरात से टकराने वाले इस तूफान की वजह से कई जगह लोगों को चिलचिलाती धूप और तेज गर्मी से राहत मिली है। लेकिन सामान्य से अधिक जो गर्मी हो रही इस गर्मी के पीछे भी अल नीनो इफेक्ट ही है। दूसरी तरफ़, इसका असर सिर्फ तेज गर्मी की ही वजह नहीं बन रहाबल्कि इसका सीधा असर मानसून पर भी देखने को मिल सकता है।

हम सभी जानते हैं कि ‘अल नीनो इफेक्ट’ मौसम संबंधी एक विशेष घटना क्या स्थिति हैजो मध्य और पूर्वी प्रशांत सागर में समुद्र का तापमान सामान्य से अधिक होने पर बनती है। इस इफ़ेक्ट की वजह से तापमान काफी गर्म हो जाता है। इसकी वजह से पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में रहने वाला गर्म सतह वाला पानी भूमध्य रेखा के साथ पूर्व की ओर बढ़ने लगता हैजिससे भारत के मौसम पर असर पड़ता है। ऐसी स्थिति में भयानक गर्मी का सामना करना पड़ता है और सूखे के हालात बनने लगते हैं। अल नीनो वातावरण और महासागर के बीच एक कॉम्प्लेक्स इंटरेक्शन के कारण होता है। इस इफेक्ट के प्राइमरी ड्राइवर भूमध्य रेखा के पास स्थिर पूर्वी हवाएं हैंजो भूमध्य रेखा और ध्रुवों के बीच सोलर सीट में अंतर के कारण होती हैं। आम तौर परये हवाएं पश्चिमी प्रशांत महासागर में गर्म पानी को बनाए रखने में मदद करती हैं। लेकिन अल नीनो के दौरानट्रेड विंड्स कमजोर हो जाती हैं या दिशा पलट जाती हैजिससे मध्य और पूर्वी प्रशांत महासागरों में गर्म पानी का निर्माण होता है। इस गर्म पानी के निर्माण की वजह से दुनिया भर के मौसम के मिजाज पर गहरा असर पड़ता है।

अल नीनो दुनिया भर के मौसम के पैटर्न पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाल सकता है। यह आमतौर पर ऑस्ट्रेलिया में सूखेइंडोनेशिया और फिलीपींस में बाढ़ और अटलांटिक महासागर में तूफान की गतिविधि से जुड़ा है। वहींभारत में अल नीनो इफेक्ट आमतौर पर दक्षिण-पश्चिम मानसून के सामान्य से अधिक शुष्क मौसम और पूरे देश में बढ़ी हुई गर्मी और सूखे के लिए जिम्मेदार होता है। मौसम पर इस तरह के प्रभावों से फसलों और पशुओं को नुकसान हो सकता हैभोजन की कमी हो सकती हैजो अप्रत्यक्ष रूप से भारत की अर्थव्यवस्था को प्रभावित कर सकते हैं। अल नीनो के विकास पर नज़र रखने और शुरुआती कार्रवाई करने के लिए मौसम की स्थिति की बारीकी से निगरानी करनासूखेहीटवेव और अन्य मौसम की घटनाओं से निपटने के लिए आकस्मिक योजनाएं विकसित करनाकमी का सामना करने वाले क्षेत्रों में भोजन और पानी का वितरण करनाऔर संबंधित जोखिमों और तैयारियों पर जनता को शिक्षित करना- ये कुछ ऐसे तरीके हैंजिनसे भारत अल नीनो के लिए तैयारी कर सकता है।

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